आज हम एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते किसानों के दारुण दुख पीड़ा का साक्षी बन रहा हूँ| सदियों से वर्तमान तक किसान उपेक्षित ही रहा है| जब भारत कृषि प्रधान देश है तो किसान खुद को इतना असहाय, हीन क्यो पाता हैं और उसी को जीता है,जब कि किसान की कोई जाति ही नही है| आज 21वी सदी में खड़ा किसान धसी हुई आँख,पुचके गाल पेट पीठ एक स्थान पर चीथड़ों में लिपटा मैले कुचैले,परिधान,घोर निराशा,भविष्य एव फसल की चिंताओं में डूबा हुआ पूरे परिवार के साथ जीतोड़ मेहनत के बाद भी खुशी की कोई गरन्टी नही है ।
जब पूरा विश्व मंदी से डूब रहा था भारत अपने कृषि के आधार पर ही न केवल टिका रहा वरन देश की अर्थव्यवस्था का सहारा बना।यदि किसानों का भला सरकार खुद नही कर सकती तो उनकी बात तो सुनना चाहिए यदि आप उससे सम्मनीय चर्चा नही करगे तो वह बहुत ही आत्म सम्मान से जीता है| आज तक कभी किसान हिंसक नही हुआ न ही कोई घोटाले किया, जितना चंद पूंजीपतियों को सरकार छूट देती हैं केव घोटाले किये उतना पूरे भारत के किसानों की पूरी औकात नही है।
याद रहे उसके पास खोने को कुछ नही है । जब खड़ा होगा तो फिर सँभालना मुश्किल होगा। जिसकी एक झलक टिकैत जी आंसू से लोगो ने देखा हर तरफ निराश ,क्रोध है उसे शांती सम्मान से हल करें सरकार। अब कुछ देशभक्ति की बात जो लोग यह नही जानते कि राष्टवाद क्या है सजीव है या निर्जीव वही लोग आज आधे अधूरे ज्ञान के साथ खुद को देश भक्त कह कर सभी को आसभ्य शब्दों का प्रयोग करते हैं| जब कि राष्टवाद, देश भक्ति एक भावना हैं वह मूर्त नहीं ,भारत के कण-कण में सजीव, निर्जीव में व्याप्त हैं जिस तरह आप के समस्त अंग एक होकर अपनी जिम्मेदारी के साथ रहकर शरीर को स्वस्थ,गति प्रदान करते हैं वैसे ही किसान मजदूर, अमीर,गरीब,भाषा,धर्म के लोग अपने कर्म से भारत की सेवा करते हैं|
देश भक्ति भारतीयों का एक धर्म है ,जिसमे किसान सभी को भोजन उपलब्ध करके, सेना बार्डर पर, नौकरशाह, मजदूर नेता सभी आपने-आपने कर्मो से देश भक्ति कर रहे हैं। पर आज सरकार अपने भारत के एक अंग को ही ही देश द्रोही बताकर खुद भारत रूपी अदृश्य विराट शरीर को कुठाराघात कर रही है जो कतई ठीक नही| यदि कुछ अराजक लोगो ने तिरंगे को अपमानित किया तो वह निंदनीय हैं पर यह केवल एक भावना को उभार कर राजनीतिक लाभ लिया जाता हैं।
यह भी एक तथ्य है की भारतीय विरासत का अपमान देश द्रोह है तो उनको बेचना क्या है...? आज तो बिकेगा भारत, बेचेगा गुजरात ,खरीदेगा गुजरात, देश भक्ति हैं...? जिसे सजाने सवारने में 50 वर्ष लग गए। सरकार अपने भोले किसानों को गद्दार साबित करने पर तुली हैं। सरकार को यह सोचना होगा कि याह असन्तोष का सागर क्यो उठा क्यो, क्या कारण है ? | आज समय आ गया है जाति- धर्म क्षेत्र से ऊपर उठ कर किसानों की प्रत्यक्ष,अप्रत्यक्ष रूप से खुद के लिये संबैधानिक तरिके से आवाज उठाना होगा| नहीं फिर बारी-बारी सभी बिलखते रहेंगे की किसानों की पीड़ा दुख कोई नही सुनता उठता, कुछ किसान भाई लोग आज आत्मछल के साथ देशभक्त, बीजेपी,आदि पार्टी के सपोर्टर है लेकिन वह भूल गए है कि पहले वह भी किसान हैं|
यह बहरी सरकार भारत पर एक-एक कर नोटबन्दी,जीएसटी,कोरोना,लाकडाउन के बज्र से सभी को मृतासन कर दिया है। जय जवान जय किसान, जय हिंद जय भारत, तभी साकार होगा जब सभी का अपना औसत जीवन स्तर हो। उसके लिए सरकार को केवल झूठा सपना दिखाने से कुछ नही होगा । राम के नाम पर सरकार बनगई पर राम जी के चरित्र के कोई भी लक्षण अभिमानी सरकार में नही है। राम का नाम एव यश तभी सार्थक होगा जब उनके चित्र का निहि चरित्र का अनुसरण किया जाय ।
आज तो बहुत लोग गांधी जी अम्बेडकर जी नेहरू जी को अभद्र भाषा बोलते हैं जिनको सत्य अहिंसा, असहयोग रूपी ब्रम्हास्त्र का ज्ञान ही नही ,जो आज इतिहास का 10 पेज भी नही पढ़े हैं ओ लोग डॉ भीमराव आंबेडकर को गाली देते हैं। जिनको पता ही नही की कम संशाधनों में भी नेहरू जी कैसे तीसरे विष का गुटनिरपेक्ष देशों का अगुआ देश बना दिया|
नेहरूजी आदि को गाली देकर अपनी सम्मानि पीढ़ी ,दरोहर को अपमानित करते हैं और विश्व भर में जहाँ आज हमारे नेताओं को पूजा जाता है| खुद ही देश सिर झुकाते है।र ही बात तिंरंगे की,धर्म की, हिन्दू भावनाओ की तो इसका सबसे ज्यादा दुरपयोग अपने फायदे के लिये वर्तमान सरकार कर रही हैं । आम नागरिक कभी अपने, खुद से जान समझकर भारतीय विरासतों का अपमान नही करता ।
वोट के लिये सब भारतीय है, हिन्दू हैं, ठीक वैसे ही जैसे जब देश स्वतंत्र हुआ तो अम्बेडकर जी अपने हीन सामाजिक वर्ग के लिये अलग देश की मांग इसलिये किया था कि देश तो स्वतंत्र हो गया, पर गरीब दलित अपने ही देश मे अपने ही लोगो से अंग्रेजी से ज्यादा सताए जा रहे थे| उनके लिये स्वतंत्रता एक बेमानी ही थी । दलित वर्ग अपने देश मे जिसके लिये लड़ा संघर्ष किया उसी देश मे घोर तिरष्कृत बना दिया गया हैं आज भी वह कमोवेश अनवरत जारी है ।
वही हाल है कि हम वोट तो सरकार को हिन्दू,,देशभक्ति, तिंरंगे,आदि भावनात्मक जुड़ाव से दे सकते हैं, पर अपनी आवाज या मांग नही उठा सकते| तब हम केवल इन्ही भावनाओ के आड़ लेकर बारी- बारी से गद्दार बना दया जाएगा| आज छात्र, बेरोजगार, मजदूर,गरीब, किसान सब को बारी- बारी देश द्रोही, गद्दार बता रही हैं सरकार। याद रहे सत्य एक बार बोलने के बाद उसको प्रमाणित नही करना होता और झूठ सौ बार बोलने पर भी वह अपने किये झूठ से डरता है। हम हर उस बात का विरोध करते हैं जिसमे अपने नागरिकों के साथ छल कपट अन्याय हो हम किसानों के शांती पूर्ण बिरोध का समर्थन करते हैं। हा वह मित्र जो मेरे विचार से सहमत न हो वह अपने आपको हमसे हमारे विचार से दूर रखें और जो लोग सकारात्मक टिप्पणी,सभ्यता के साथ विचार देना तो चाहे तो सादर अभिवादन हैं।
डॉ. चद्र प्रकाश वर्मा