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बस्ती: ड्रग माफियाओं ने एक्सपायर करा दी लाखों रूपए की दवाएं , 70% कमीशन के चक्कर में लिखी जा रही बाहर की दवाएं

  • by: news desk
  • 20 September, 2021
बस्ती:  ड्रग माफियाओं ने एक्सपायर करा दी लाखों रूपए की दवाएं , 70% कमीशन के चक्कर में लिखी जा रही बाहर की दवाएं

बस्ती :   जिले में ड्रग माफिया इस कदर हावी हैं कि उन्हें न तो सरकार का भय है और न ही समाज की चिंता उन्हें तो सिर्फ अपनी जेब भरने से मतलब है, चाहे कोई मरे या जिये इसकी कोई चिंता ही नहीं है... जानकर हैरानी होगी कि इन ड्रग माफियाओं ने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के लाखों रूपए की दवाओं को एक्सपायर कर दिया.. लोगों को सस्ते दर पर दवाएं मिल सके इसके लिए वर्ष 2018 में जिले के महिला अस्पताल ओपेक चिकित्सालय कैली  जिला अस्पताल, मालवीय रोड के समीप प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की स्थापना की गई| शुरूआती दिनों में तो यह केंद्र जन उपयोगी साबित हुए, लेकिन ड्रग माफियाओं के चलते अब ये केंद्र धीरे-धीरे दम तो तोड़ रहे है। जिम्मेदारों का ध्यान इस तरफ न होने के चलते प्रधानमंत्री की मंशा जिले में तार-तार हो रही है|



महिला अस्पताल में चार लाख से अधिक की दवाएं हो गई एक्सपायर

 ऑपरेशन ब्लैक ऑउट के तहत जब जन औषधि केंद्रों की पड़ताल की तो चौकाने वाले नजारे सामने आए, जिला महिला अस्पताल स्थित जन औषधि केंद्र में साढ़े चार लाख रूपए से अधिक की दवा सिर्फ इसलिए एक्सपायर हो गई, क्योंकि डॉक्टर अपने पर्चें पर यहां की दवाएं न लिखकर बाहर की और महंगी दवाएं लिख रहे हैं जबकि जन औषधि केंद्र पर सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। यही हाल जिला अस्पताल, ओपेक चिकित्सालय कैली स्थित जन औषधि केंद्र का है यहां भी लाखों रूपए की दवाएं एक्सपायर हो गई हैं जिम्मेदार भी इन केंद्रों की सुधि नहीं ले रहे हैं|



 70 प्रतिशत कमीशन के खेल में लिखी जा रही बाहर की दवाएं 

सूत्रों की मानें तो बाहर से दवाएं लिखने के बदले डॉक्टर को 70 प्रतिशत कमीशन दवा कंपनियों की ओर से दी जाती है इसके साथ ही वह सारी सुविधाएं चिकित्सकों को मुहैया कराई जाती हैं जिसकी वे अपेक्षा करते हैं। इतना ही नहीं ड्रगमाफिया विदेश टूर का पैकेज के साथ कार तक गिफ्ट कर देते हैं... चंद पैसों के चक्कर में डॉक्टर भी ड्रग माफियाओं के चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं.. दवाओं पर खर्च हो जाती है गाढ़ी कमाई| 




सरकार भले ही लोगों के स्वास्थ्य व आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित हो, लेकिन जिम्मेदारों के आंख मूंद लेने के चलते लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है | बानगी के तौर पर जो दवाएं जन औषधि केंद्रों पर 20 रूपए की मिलती है, वही दवाएं प्राइवेट कंपनियों की सौ से 150 रूपए तक मिल रही हैं.. सरकारी पर्चों पर बाहर की दवाएं लिखी जाने से लोगों की गाढ़ी कमाई इन दवाओं पर ही खर्च हो जाती है| 



एडी हेल्थ ने कहा जांच कराकर की जाएगी कार्रवाई: प्रकरण को लेकर जब एडी हेल्थ डॉ सीपी कश्यप से बात की गई तो उन्होने कहा कि यह गंभीर विषय है जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी|




रिपोर्ट-सोमनाथ सोनकर


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