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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई पूरी, अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की याचिका पर फैसला सुरक्षित

  • by: news desk
  • 11 August, 2020
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई पूरी, अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की याचिका पर फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में आज अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में पटना से मुंबई के लिए एफआईआर ट्रांसफर करने की मांग करने वाली रिया चक्रवर्ती की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को गुरुवार, 13 अगस्त तक कोर्ट में संकलित सभी पूर्ववर्ती निर्णयों का लिखित नोट दाखिल करने के लिए कहा।



अब सुशांत केस की जांच मुंबई पुलिस करेगी या सीबीआई इस पर अपना आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को दे सकता है। बता दें कि इस केस में रिया चक्रवर्ती की ओर से श्याम दीवान, महाराष्ट्र सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी, बिहार सरकार की ओर से मनिंदर सिंह और भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपने-अपने पक्ष रखे।




अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में आज अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती की दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें से एक याचिका में रिया ने सुशांत के पिता केके सिंह की ओर से पटना में दर्ज कराए गए मामले को मुंबई स्थानांतरित करने की अपील की। रिया की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान तो बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह पैरवी कर रहे थे। वहीं, सुशांत के पिता की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह और महाराष्ट्र सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी रख रहे थे। मामले में करीब 3 घंटे चली मैराथन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती की ट्रांसफर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।




14 जून को मुंबई के अपने फ्लैट में मृत मिले अभिनेता सुशांत सिंह का मामला सुप्रीम कोर्ट लेकर उनकी गर्लफ्रेंड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती आई थीं| रिया ने अपने खिलाफ पटना में दर्ज हुई एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी| सुशांत के पिता की तरफ से दर्ज एफआईआर में रिया के ऊपर सुशांत को परेशान करने, उसके करोड़ों रुपए रुपयों का गबन करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था| सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले ही बिहार सरकार ने केस सीबीआई को सौंपने की सिफारिश कर दी. इसे केंद्र सरकार ने मान लिया|




सुप्रीम कोर्ट में रिया के वकील श्याम दीवान ने कहा, “पटना में एफआईआर दर्ज होना कानूनन गलत था| बिहार सरकार की सिफारिश पर जांच सीबीआई को दे दिया जाना भी गलत है| रिया के वकील ने यह भी कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से बिहार के मुख्यमंत्री के दबाव में पटना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की| रिया राजनीतिक खींचतान का शिकार हो रही हैं| मीडिया भी उसके खिलाफ ट्रायल चलाकर दोषी साबित करने पर आमादा है|




इस पर जज ने सवाल किया, “आपने अपनी याचिका में खुद ही जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की थी| क्या ऐसा नहीं है?” रिया के वकील का जवाब था, “हां, हमने यह मांग की थी| लेकिन जिस तरह से बिहार सरकार के कहने पर सीबीआई ने तुरंत जांच शुरू कर दी, उससे इस जांच की निष्पक्षता शक के दायरे में लग रही है| अब हमारी यह मांग है कि पहले केस मुंबई पुलिस को ट्रांसफर हो| उसके बाद परिस्थितियों के हिसाब से आगे फैसला लिया जाए|





बिहार सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने मामले में सीएम का नाम घसीटे जाने पर कड़ा एतराज जताया| उन्होंने कहा, “राजनीतिक दबाव बिहार में नहीं, महाराष्ट्र में है| तभी मुंबई पुलिस जांच का सिर्फ दिखावा कर रही है| सिंह ने कहा, “25 जून को सुशांत की अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस दिन कानूनन एफआईआर दर्ज हो जानी चाहिए|लेकिन उसके बाद भी मुंबई पुलिस बड़े-बड़े लोगों को बुलाकर बयान ही दर्ज करती रही| सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के हिसाब से देखें तो 25 जून के बाद मुंबई में कोई मामला ही नहीं बचता है|उस दिन या तो केस बंद कर दिया जाना चाहिए था या एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी| मामले में इकलौती एफआईआर बिहार में दर्ज हुई| ऐसा करने का पटना पुलिस को पूरा अधिकार था| सुशांत के पिता यह बता रहे थे कि उनके बेटे के पैसों का गबन हुआ है| उसे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया है| तभी केस दर्ज किया गया|





महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं| सिंघवी ने देश के संघीय ढांचे का हवाला दिया| उन्होंने कहा, "कोर्ट इस तरह का उदाहरण स्थापित न होने दे कि एक राज्य में हुई घटना की एफआईआर किसी दूसरे राज्य में दर्ज करा दी जाए, क्योंकि शिकायतकर्ता इसमें सुविधा महसूस करता है| इस मामले में हर कोई वकील और जज बन गया है| कोई इसे हत्या कह रहा है, कोई आत्महत्या|लेकिन पूरे मामले में असल में अपराधिक न्याय प्रक्रिया की हत्या हो रही है| मीडिया के चीखने चिल्लाने वाले एंकर घटना को कितना भी सनसनीखेज बनाकर पेश करें| लेकिन इससे कोर्ट को फर्क नहीं पड़ना चाहिए|






करीब 3 घंटे तक चली बहस के बाद कोर्ट ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया| बेंच ने कहा है कि सभी पक्षों के वकील अगर चाहे तो गुरुवार, 13 अगस्त को अपनी दलीलों पर संक्षिप्त नोट कोर्ट में जमा करवा सकते हैं|









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